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बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं | Bahuvrihi Samas Kise Kahate Hai

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स्वागत है आप सभी का अपनी वेबसाइट Hindi Learnings पर। दोस्तों हमारी इस वेबसाइट पर आपको शिक्षा से जुड़े हुए सभी विषय के बारे में यहां पर आपको सही जानकारी दी जाती है अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं तो आपके लिए यह लेख बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें से बहुत से प्रश्न आपको एग्जाम में पूछे जाते हैं। तो चलिए दोस्तों आज के इस लेख में हम बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं के बारे में विस्तार से जानते है।

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं

बहुव्रीहि समास एक ऐसा समास है, जिसमें कोई भी पद प्रधान नहीं है और दोनों श्लोक मिलकर एक तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं, उस समास को बहुवृहि समास कहते हैं। जिसमें कोई पद प्रधान न हो परन्तु (दिए गए पदों में) किसी अन्य पद की पूर्वता हो। यह किसी विशेष संज्ञा का विशेषण होता है जो उसके पदों से भिन्न होता है, उसे बहुपद कहते हैं।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण

बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है-

मकरध्वज – वह जिसके पास मकर का झंडा हो ‘कामदेव’

पतिव्रता – जो पति का व्रत करे ‘वह स्त्री’

इंदुशेखर – जिसकी इंदु (चंद्रमा) शेखर (सिर का आभूषण) है ‘शिव’

पशुपति – पशु के पति (भगवान) ‘शिव’

पद्मनाभ – जिसकी नाभि में पद्म (कमल) है ‘विष्णु’

हृषिकेश – वह जो हृषिका (इंद्रियों) के देवता हैं ‘विष्णु / कृष्ण’

शेषशायी – वह जो शेष (साँप) पर सोता है ‘विष्णु’

हिरण्यर्भ – जिसके पास हिरण्य (स्वर्ण) का गर्भ हो ‘ब्रह्मा, चतुरानन, चतुर्मुख’ आदि।

प्रफुल्ल कमल – कमल जिसमें खिल रहा है ‘वह तालाब’

धनंजय – वह जो धन (पृथ्वी, भौतिक धन आदि) पर विजय प्राप्त करता है ‘अर्जुन’

सप्तर्षि – जो सात ऋषि हैं (उनके नाम निश्चित हैं) वे ‘सात विशेष ऋषि’

लोकनायक – लोगों के नायक ‘जयप्रकाश नारायण’

सिंहवाहिनी – जिसका वाहन सिंह का वाहन है ‘दुर्गा’

मयूरवाहन – जिसका मोर का वाहन है ‘कार्तिकेय’

अनंग – बिना अंग के ‘कामदेव’

शैलानंदिनी – वह जो शैल (हिमालय) की नंदिनी (पुत्री) है ‘पार्वती’

दशरथानंदन – वह जो दशरथ के नंदन हैं ‘राम’

नीलकंठ– नीला वह कण्ठ है जिसका ‘शिव’

वारिज – वह जो वारिस से पैदा हुआ है ‘कमल’

नीरद – वह जो नीर देता है ‘बादल, वारिद, जलाद, पायोद, अंबुद’ आदि

कपिश्वर – वानरों के भगवान (बंदर) ‘हनुमान’

सुधाकर – सुधा (अमृत) को संभव बनाने वाले ‘मून’

हिमाद्री – जो हिम का आद्री  है वह है ‘हिमालय’

त्रिपिटक – तीन पिटकों का संग्रह (रचना संग्रह) ‘बौद्ध धर्म के विशेष ग्रंथ’

त्रिवेणी – तीन शिराओं (नदियों) के संगम का स्थान ‘प्रयाग’

वसुंधरा – जो वसु (रत्न, धन) धारण करने वाली ‘पृथ्वी’

अष्टाध्यायी – जिसमें आठ अध्याय हैं ‘पाणिनि द्वारा संस्कृत व्याकरण’

त्रिफला – तीन फलों का समूह ‘हरा, बेले, आंवला’ आदि

पंचवटी – पांच बरगद के पेड़ों का समूह ‘मध्य प्रदेश में एक विशेष स्थान’

बहुव्रीहि समास के अर्थ और उदाहरण

बहुव्रीहि समास के अर्थ और उदाहरण इस प्रकार हैं जिनको अलग तरीके से समझाने का प्रयास किया गया है।

बहुव्रीहि समास के शब्दशब्द का विश्लेषणशब्द का अर्थ
गिरिधरगिरि को धारण करने वालेश्री कृष्ण
जयपुरजयसिंह द्वारा निर्मित शहरएक विशेष शहर का नाम
अनुचरजो चलने वाले का अनुसरण करता हैनौकर
वजरंगव्रज के समान एक अंग है, जिसकाशिव
चतुर्भुजचार भुजाएँ  है जिसकाविष्णु
चंद्रचूड़चंद्र (चंद्रमा)  है चंद्रमा (ललाट) पर हैशिव

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने आपको बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है अगर आप इस लेख को ध्यान से पढ़ते हैं तो आपको बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं के बारे में सारी जानकारी मिल जायगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगती है तो आप इस जानकारी को आगे भी अपने दोस्तों के साथ शेयेर करे हमारे साथ इस आर्टिकल में आखिर तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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