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भयानक रस किसे कहते हैं
काव्य को सुनने पर जब भय के कारण आनंद या भाव की अनुभूति होती है तो इस भाव को भयानक रस कहते हैं। दूसरे शब्दों में, भयानक रस वह रस है जिसमें भय का भाव होता है या जिसका स्थायी भाव भय होता है। अगर इसको आसन भाषा में समझे तो हम ये कह सकते है की जब भी हम कुछ देखते या सुनते है उस देखने या सुनने के कारण जो भय या डर का भाव उत्पन होता है उसी भाव को भयानक रस कहा गया है
भयानक रस के अवयव
स्थायी भाव | भय |
आलम्बन (विभाव) | कोई वस्तु, चरित्र, घटना या विचार आदि, जिसका सामना करने पर भय उत्पन्न होता है। |
उद्दीपन (विभाव) | भयावह दृष्टि, श्रवण, स्मृति, कष्टदायक अनुभूति या प्रयास। |
अनुभाव | मुट्ठियों से आंखें बंद करना, शरीर को ढकना, कांपना, चिंता उत्पन्न होना, हकलाना, पसीना आना आदि। |
संचारी भावनाएँ | नकारात्मक भावना, पलायन, चिंता, घबराहट आदि। |
भयानक रस के उदाहरण
1.बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ,
लंक लीलिबे को काल रसना परारी है।
2.उधर गरजति सिंधु लड़रियां, कुटिल काल के जालो सी।
चली आ रही फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों सी।।
3.कैधों व्योम बीद्यिका भरे हैं भूरि धूमकेतु,
वीर रस वीर तरवारि सी उधारी है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने भयानक रस किसे कहते हैं के बारे में जाना है, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा भयानक रस किसे कहते हैं के बारे में जो जानकारी दी गयी है वो आपको समझ में आ गयी होगी अगर आप ऐसे ही हिंदी व्याकरण में कोई और प्रश्न जानना चाहते हैं है तो हमारी वेबसाइट के कमेन्ट बॉक्स में हमे लिखकर जरुर भेजे। अगर ये आर्टिकल आप को पसंद आया है तो आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले इस लेख में आखिर तक बने रहने के लिए आप का धन्यवाद।