Saturday, April 1, 2023
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उत्तर प्रदेश का इतिहास | Uttar Pradesh Ka Itihas

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उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे बहुत अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और उत्तर प्रदेश के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी थी।

उत्तर प्रदेश का इतिहास लगभग 4000 वर्ष पुराना है, जब आर्य पहली बार इस जगह पर आये। इसी समय वैदिक सभ्यता का प्रारम्भ हुआ और उत्तर प्रदेश में इसका जन्म हुआ। आर्यों का फैलाव सिन्धु नदी और सतलुज के मैदानी भागों से यमुना और गंगा के मैदानी क्षेत्र की ओर हुआ। आर्यों ने दोब (दो-आब, यमुना और गंगा का मैदानी भाग) और घाघरा नदी क्षेत्र को अपना घर बनाया। इन्हीं आर्यों के नाम पर भारत देश का नाम आर्यावर्त या भारतवर्ष (भारत आर्यों के एक प्रमुख राजा थे) पड़ा। समय के साथ आर्य भारत के दूरस्थ भागों में फ़ैल गये। संसार के प्राचीन नगरों में से एक माना जाने वाला वाराणसी नगर यहीं पर स्थित है। वाराणसी के पास स्थित सारनाथ का चौखण्डी स्तूप भगवान बुद्ध के प्रथम प्रवचन की याद दिलाता है। समय के साथ यह क्षेत्र छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया या फिर बड़े साम्राज्यों, यदुवंश,गुप्त, मोर्य और कुषाण का हिस्सा बन गया। 7वीं शताब्दी से 11वी शताब्दी तक कन्नौज गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य का प्रमुख केन्द्र था।

प्राचीन काल

सातवीं शताब्दी ई॰ पू॰ के अन्त से भारत और उत्तर प्रदेश का व्यवस्थित इतिहास शुरू होता है, जब उत्तरी भारत में 16 महाजनपद श्रेष्ठता की दौड़ में शामिल थे, इनमें से सात वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत आते थे। बुद्ध ने अपना पहला उपदेश वाराणसी (बनारस) के निकट सारनाथ में दिया और एक ऐसे धर्म की नींव रखी, जो न केवल भारत में, बल्कि चीन व जापान जैसे देशों तक भी फैला। कहा जाता है कि बुद्ध को कुशीनगर में परिनिर्वाण प्राप्त हुआ था, जो पूर्वी ज़िले कुशीनगर में स्थित है। पाँचवीं शताब्दी ई. पू. से छठी शताब्दी ई॰ तक उत्तर प्रदेश अपनी वर्तमान सीमा से बाहर केन्द्रित शक्तियों के नियंत्रण में रहा, पहले मगध, जो वर्तमान के बिहार राज्य में स्थित था और बाद में उज्जैन, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। इस राज्य पर शासन कर चुके इस काल के महान शासकों में चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद और उसके बाद उनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट धनानंद जो नाई समाज से थे। सम्राट महापद्मानंद और धनानंद के समय मगध विश्व का सबसे अमीर और बड़ी सेना वाला साम्राज्य हुआ करता था। चन्द्रगुप्त प्रथम शासनकाल का समय लगभग 330-380 ई॰ तक रहा व अशोक के शासनकाल का समय लगभग 268 या 265-238 के समय जो मौर्य सम्राट थे और समुद्रगुप्त के शासनकाल का समय लगभग 330-380 ई॰ तक चन्द्रगुप्त द्वितीय रहे हैं लगभग 380 से 415 ई तक कुछ विद्वान विक्रमादित्य मानते हैं। एक और प्रसिद्ध शासक हर्षवर्धन (शासनकाल 606-647) थे। जिन्होंने कान्यकुब्ज (आधुनिक कन्नौज के निकट) स्थित अपनी राजधानी से पूरे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों पर शासन किया।

मध्यकाल

इस क्षेत्र में हालाँकि 1000-1030 ई. तक मुसलमानों का आगमन हो चुका था, किन्तु उत्तरी भारत में 12वीं शताब्दी के अन्तिम दशक के बाद ही मुस्लिम शासन स्थापित हुआ था, जब मुहम्मद ग़ोरी ने गहड़वालों और अन्य प्रतिस्पर्धी वंशों को हराया था। लगभग 650 वर्षों तक अधिकांश भारत की तरह उत्तर प्रदेश पर भी किसी न किसी मुस्लिम वंश का शासन रहा, जिनका केन्द्र दिल्ली या उसके आसपास था। 1526 ई. में बाबर ने दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी को हराया और सबसे अधिक सफल मुस्लिम वंश, मुग़ल वंश की नींव रखी। इस साम्राज्य ने 350 वर्षों से भी अधिक उपमहाद्वीप पर शासन किया। इस साम्राज्य का महानतम काल अकबर (शासनकाल 1556-1605 ई.) से लेकर औरंगजेब आलमगीर (1707) का काल था, जिन्होंने आगरा के पास नई शाही राजधानी फ़तेहपुर सीकरी का निर्माण किया था। उनके पोते शाहजहाँ (शासनकाल 1628-1658 ई.) ने आगरा में ताजमहल (अपनी बेगम की याद में बनवाया गया मकबरा, जो प्रसव के दौरान चल बसी थीं) बनवाया था, जो विश्व के महानतम वास्तुशिल्पीय नमूनों में से एक है। शाहजहाँ ने आगरा व दिल्ली में भी वास्तुशिल्प की दृष्टि से कई महत्त्वपूर्ण इमारतें बनवाईं थीं।

आधुनिक काल

लगभग 75 वर्ष की अवधि में उत्तर प्रदेश के क्षेत्र का ईस्ट इण्डिया कम्पनी (ब्रिटिश व्यापारिक कम्पनी) ने धीरे-धीरे आधिपत्य किया। विभिन्न उत्तर भारतीय वंशों 1775, 1798 और 1801 में नवाबों, 1803 में सिन्धिया और 1816 में गोरखों से छीने गए प्रदेशों को पहले बंगाल प्रेज़िडेन्सी के अन्तर्गत रखा गया, लेकिन 1833 में इनको अलग करके पश्चिमोत्तर प्रान्त गठित किया गया। 1856 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अवध पर अधिकार कर लिया और आगरा एवं अवध संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के समरूप) के नाम से इसे 1877 ई॰ में पश्चिमोत्तर प्रान्त में मिला लिया गया, और 1902 ई॰ में इसका नाम बदलकर संयुक्त प्रान्त कर दिया गया।

सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश

उत्तर प्रदेश सघन आबादी वाले गंगा नदी और यमुना नदी के मैदान में बसा हुआ है। लगभग 16 करोड़ की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला उपराष्ट्रीय प्रदेश है। पूरे विश्व के सिर्फ़ पांच राष्ट्रों चीन, भारत, संयुक्त अमरीका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या ही उत्तर-प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास में बहुत योगदान है। उत्तर प्रदेश आधुनिक इतिहास और राजनीति का सदैव से केन्द्र बिन्दु रहा है। यहाँ के निवासियों ने स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभायी थी। इलाहाबाद शहर में विख्यात नेताओं- मोतीलाल नेहरू, पुरुषोत्तमदास टंडन और लालबहादुर शास्त्री आदि प्रमुख नेताओं का घर था। यह प्रदेश, देश के आठ प्रधानमन्त्रियों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, लालबहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर सिंह, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का चुनावी क्षेत्र भी रहा है।

पर्यटन स्थल

  • ताजमहल, आगरा
  • प्राचीन तीर्थ स्थलों में वाराणसी, विंध्याचल, अयोध्या, चित्रकूट, प्रयाग, नैमिषारण्य, मथुरा, वृन्दावन, देव शरीफ आदि है।
  • फ़तेहपुर सीकरी में शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह आकर्षण का केंद्र है।
  • सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, संकिसा, कांपिल्य, वर्तमान फ़र्रूख़ाबाद, पिपरावा और कौशांबी मुख्य हैं।
  • आगरा, अयोध्या, सारनाथ, वाराणसी, लखनऊ, झांसी, गोरखपुर, जौनपुर, कन्नौज, महोबा, देवगढ, बिठूर और विंध्याचल, हिन्दू एवं मुस्लिम, वास्तुशिल्प और संस्कृति के अनोखे खजाने से भरा हैं।
  • उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में मत्स्येंद्रनाथ नामक प्रसिद्ध देवीपीठ है।

उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित कुछ तथ्य

सम्भागोँ की संख्या18
जिलोँ की संख्या75
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े महानगरलखनऊ, कानपुर और आगरा
तहसीलोँ की संख्या351 (2020 में)
विश्वविद्यालयोँ की संख्या५५[12]
विधानमण्डलद्विसदनात्मक
विधान सभा सदस्योँ की संख्या403+1 (एंग्लोइँडियन) = 404
विधान परिषद सदस्योँ की संख्या99+1 (एंग्लोइँडियन) = 100
लोकसभा सदस्योँ की संख्या80
राज्यसभा सदस्योँ की संख्या31
उच्च न्यायालयप्रयागराज (खण्डपीठ- लखनऊ)
भाषाहिन्दी, उर्दू (दूसरी राजभाषा 1989 से)
राजकीय पक्षीसारस या क्रौँच
राजकीय पेड़अशोक
राजकीय पुष्पपलाश या टेंसू
स्थापना दिवस1 नवंबर 1956

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आप को उत्तर प्रदेश का इतिहास बताया है अगर आप को हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई है तो आप इस आर्टिकल को दोस्तों के साथ जरुर शेयेर करे और अगर इस आर्टिकल को पढने के बाद आप के मन में कोई प्रश्न आ रहा है इस आर्टिकल से जुडा हुआ तो आप हमे कमेन्ट करके बता सकते है इस लेख में यहाँ तक बने रहने के लिए आप का धन्यवाद।

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