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दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं किसी चीज के बारे में जानने के लिए हमें उसके बारे में जानकारी शुरू से लेनी पड़ती है ताकि हम उसके बारे में सही जानकारी हासिल कर सकें वैसे ही आज हम इस लेख में उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है ये जानने से पहले हम उत्तर प्रदेश के इतिहास के बारे में जानेंगे अगर आप उत्तर प्रदेश का इतिहास को और भी अच्छे से जानना और समझना चहाते है तो इस पर हमने आर्टिकल लिखा हुआ है आप वो पढ़ सकते है तो उत्तर प्रदेश की राजधानी को समझने में हमें समय बिल्कुल ही नहीं लगेगा।
उत्तर प्रदेश का इतिहास
मुगल काल में देश में विभिन्न राजाओं के राज्य थे। मुगलों ने आक्रमण कर उन पर कब्जा कर लिया। इन राज्यों या सूबों में अलग-अलग शासक थे जो मुगल सम्राट के अधीन थे। जब अकबर ने राज्य संभाला तो उसने आगरा के निकट फतेहपुर सीकरी को कुछ वर्षों के लिए अपनी राजधानी बनाया। फिर प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया गया और 1583 में इसे अपनी राजधानी बनाया गया।
संयुक्त प्रांत से बदलकर उसका नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया
24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश का नाम संयुक्त प्रांत से अलग कर दिया गया और पुनर्गठन के बाद उत्तर प्रदेश का वर्तमान स्वरूप तय किया गया। लेकिन, वर्ष 1957 में योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष टीटी कृष्णमाचारी ने पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया। 12 मई 1970 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषणा की कि पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की होगी।
इसके बाद 1979 में अलग राज्य के गठन के लिए उत्तराखंड क्रांति दल का गठन किया गया। संघर्ष जारी रहा और नवंबर 1987 में दिल्ली में प्रदर्शन हुए और अलग उत्तराखंड राज्य के गठन के लिए राष्ट्रपति को ज्ञापन दिए गए। वर्ष 1994 में उत्तराखंड के छात्रों ने अलग राज्य के लिए जन आंदोलन शुरू किया, लेकिन मुलायम सिंह यादव के रवैये से आंदोलन उग्र हो गया।
उत्तराखंड में तीन महीने से अधिक समय तक अनशन, हड़ताल, दंगे और पुलिस फायरिंग की घटनाएं हुईं। मुलायम सरकार में ही पुलिस ने मसूरी और खटीमा में गोलियां चलाईं। कई लोग घायल हो गए। दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के रास्ते में मुजफ्फरनगर में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जिसमें कई लोग मारे गए। महिलाओं के साथ बदसलूकी और अभद्रता के भी आरोप लगे। यह संघर्ष रामपुर तिराहा कांड से प्रसिद्ध हुआ।
50 साल बाद यूपी का पहला विभाजन हुआ और उत्तराखंड बना
रामपुर तिराहा की घटना के बाद आंदोलन तेज हो गया। जब चुनाव आया तो भाजपा ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने का वादा किया और उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा। नतीजतन, 9 नवंबर 2000 को, उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में से एक बना दिया गया था। पहले इसका नाम बदलकर उत्तरांचल और फिर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तर प्रदेश की पांच लोकसभा सीटें भी उत्तराखंड को दी गईं। इस तरह उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 85 की जगह 80 सीटें ही रह गईं।
उत्तर प्रदेश के 70 साल के सफर में कई ऐसे बदलाव हुए जिसने कुछ बड़े शहरों और नदियों को इतिहास का हिस्सा बना दिया। उदाहरण के लिए, इलाहाबाद, जो लंबे समय तक राज्य की राजधानी थी, अब इसका नाम बदल गया है। अब वह प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। सआदत अली खान द्वारा अवध की राजधानी बनाए गए फैजाबाद का नाम भी बीते दिनों की बात हो गया। अब इसे अयोध्या के नाम से जाना जाएगा। यही नहीं, जिस उत्तर प्रदेश में अब तक प्रमुख नदियों में घाघरा पढ़ा जाता था, वह अब आने वाली पीढ़ियों को सरयू के नाम से जाना जाएगा।
उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है
भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है, लखनऊ की कुल जनसंख्या 4589838 है और राजधानी में औसत साक्षरता दर 77.29 प्रतिशत है, जो राज्य की औसत साक्षरता दर से 8 प्रतिशत अधिक है। राजधानी लखनऊ का कुल क्षेत्रफल 2528 वर्ग किलोमीटर है और लखनऊ में लिंगानुपात 917 है। जो राज्य के औसत लिंगानुपात से 9 अधिक है। लखनऊ के कुल दो आरटीओ कोड हैं जिनका नाम आरटीओ लखनऊ है जिनका नंबर यूपी-32 है और दूसरा आरटीओ कोड है आरटीओ ट्रांस गोमती ऑफिस लखनऊ जिसका नंबर यूपी-32 है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है के बारे में बताया है तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि अगर आपने हमारे इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ा होगा तो आपको उत्तर प्रदेश का इतिहास क्या है इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी मिल गयी होगी साथ में आपको यह भी पता चल गया होगा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख पढ़कर आपको काफी अच्छा लगा होगा तो दोस्तों हमारे साथ इस वेबसाइट पर यहाँ तक बने रहने के लिए धन्यवाद।