नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का अपनी वेबसाइट Hindi Learning पर, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं वर्तनी किसे कहते हैं इस बारे में हम आपको आज विस्तार से समझाएंगे और यदि आप ऐसे और टॉपिक की जानकारी पाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट के होम पेज पर जाकर उन टॉपिको की भी जानकारी ले सकते हैं।
वर्तनी किसे कहते हैं परिभाषा
‘वर्तनी’ शब्द का अर्थ अनुसरण करना, अर्थात् अनुसरण करना है। भाषा के बोले गए रूप या बोले गए रूप में, जो कहा या उच्चारण किया जाता है वह भी उसी के अनुसार या उसके अनुसार लिखा जाता है, इसे ही वर्तनी कहते हैं। भाषा का लिखित रूप वर्तनी की सहायता लेता है। इसलिए, भाषा के बोले गए रूप को उसी रूप में लिखना ‘वर्तनी’ कहलाता है।
वर्तनी की एकरूपता
वर्तनी की एकरूपता भाषा के मानक रूप को स्थिर बनाती है और इसमें भ्रम की कोई संभावना नहीं होती है। वर्तनी की सहायता से भाषा लिखित रूप धारण कर लेती है। यदि वर्तनी गलत है तो स्वाभाविक है कि भाषा भी अशुद्ध होगी और इससे भाषा का स्तर प्रभावित होगा।
वर्तनी के कुछ आवश्यक नियम
चलिए हम आप को वर्तनी के नियम को समझाने का प्रयास करते है और हम उमीद करते है की आप को हमारे द्वारा दी जानकारी से समझ मे आ जायगा।
- कारक और उनके प्रतीक (विभक्ति चिह्न)
- निपात-शब्द या अव्यय
- संयोजक और सहायक क्रिया
- योजक चिह्न का प्रयोग
- संस्कृत से शब्द
- गलत उच्चारण के कारण वर्तनी की अशुद्धियाँ
- अनुनासिका और अनुस्वार
- श, एस और शा के प्रयोग में अशुद्धि
कारक और उनके प्रतीक (विभक्ति चिह्न)
लिखित रूप में, कारकों के विभक्ति को दूसरे शब्दों से संबंधित नहीं होना चाहिए, बल्कि अलग से लिखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, मोहन कर्ता कारक है, सोहन क्रिया का एजेंट है, आदि।
सर्वनामों को विभक्ति जोड़कर लिखा जाता है। जैसे- वह, मैं, वह, मेरा आदि।
निपात-शब्द या अव्यय
यदि सर्वनाम और विभक्ति के बीच यथाशीघ्र, को आदि का अन्तर हो तो वे पृथक-पृथक लिखे जाते हैं। जैसे– (क) मैं तुम्हारे लिए ही लाया हूँ। (ख) यहीं से मुझे यह खबर मिली।
कुछ अनकहे शब्द अलग-अलग लिखे जाते हैं, जैसे ‘तक’ और ‘साथ’ (मेरे साथ, वहाँ तक)।
संबंधित क्रियाविशेषण ‘श्री’ और ‘जी’ भी अलग-अलग लिखे गए हैं। उदाहरण के लिए- श्री राम, रोशनलाल जी।
जिन अक्षरों के साथ विभक्ति चिह्न आते हैं, उन चिन्हों को भी अलग से लिखा जाता है। जैसे यहाँ से, तब से।
संयोजक और सहायक क्रिया
यौगिक क्रिया और सहायक क्रिया को एक साथ नहीं, बल्कि अलग-अलग लिखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए- (अ) मोहन जा सकता था। (ब ) वे आ सकते थे।
पूर्ववर्ती क्रियाएँ मिलकर एक शब्द बनाती हैं। उदाहरण के लिए– खाने के बाद, रोना, पढ़ना, सोना।
कभी-कभी अधिक स्पष्टता के लिए इनके बीच एक जॉइनर का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, पढ़ना-लिखना, रोना, खाना-पीना।
योजक चिह्न का प्रयोग
यदि से, सा, जैसे आदि शब्द गुणों की समानता या समानता दिखाने के लिए आते हैं, तो उन्हें संयोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पसंद करना-
- हरिश्चंद्र-सा सच्चा
- लक्ष्मीबाई जैसी महिला
- संघर्ष समाधान में योजक चिह्न का उपयोग किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए- माता-पिता, रात-दिन, भाई-बहन आदि।
आमतौर पर, मिश्रित वाक्यों में हाइफ़न या योगात्मक चिह्न की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए- नगरवासी, बालिवेदी, गंगाजल आदि। भ्रम की संभावना होने पर हाइफन का प्रयोग किया जाता है, जैसे– भू-तत्व।
संस्कृत से शब्द
संस्कृत से हिंदी में जो समान शब्द आए हैं, उन्हें उसी रूप में लिखा जाना चाहिए। हिंदी में जिन शब्दों को हलंत मुक्त कर दिया गया है, उनमें संस्कृत के आधार पर फिर से हलंत लगाना आवश्यक नहीं है।
जैसे – जगत (संस्कृत में) जगत (हिंदी में), महान (संस्कृत में) महान (हिंदी में), विद्वान (संस्कृत में) विद्वान (हिंदी में)।
संस्कृत के कुछ ऐसे ही शब्द, जो हिन्दी में उसी रूप में लिखा जाना चाहिए। जैसे– ब्रह्मा, उरुना, ग्रुइट, अत्यधिक, निशान, अधिकार, प्रदर्शनी आदि।
गलत उच्चारण के कारण वर्तनी की अशुद्धियाँ
इ-ई से संबंधित शब्द जो कुछ इस प्रकार है
अशुद्ध | शुद्ध |
रवी | रवि |
शांति | शांती |
अनुनासिका और अनुस्वार
अब नासिका का प्रयोग अधिकतर उन शब्दों में किया जाता है जिनमें शीर्षक के ऊपर कोई अन्य मात्रा नहीं लगाई जाती है। उदाहरण के लिए- हँसना, उंगली, आँख, गांठ, श्वास, ऊँट आदि। यदि मस्तक रेखा के ऊपर अन्य मात्रा लगाई जाए तो अनुस्वार के स्थान पर अनुजिका का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए- ईंधन से ईंधन, सेंकना को सेंकना।
श, एस और शा के प्रयोग में अशुद्धि
‘स’ की ध्वनि तालव्य है, ‘श’ की ध्वनि मुर्ध्य है और ‘स’ की ध्वनि दंत्य है। अतः इनके सही उच्चारण से वर्तनी की अशुद्धि को दूर किया जा सकता है। निम्नलिखित नियमों को ध्यान में रखते हुए उनका सही उपयोग जानना चाहिए-
- यदि क,ब,प,फ तथा ट और ठ अक्षरों से पहले हैं, तो यह ष में बदल जाता है। उदाहरण के लिए, निह + पाप = निष्पाप पाप रहित, नि: + फल =निष्फल
- यदि ‘ए’ वर्ग है और ‘ए’ और ‘ए’ में य,र,ल,व,ह , में से कोई अन्य स्वर या कोई अक्षर है, तो वह स ‘ में बदल दिया जाता है। उदाहरण के लिए – वी + सम = विषम, अभि + सेक = अभिषेक।
दोहरा अक्षर त्रुटि
सभी अक्षरों के दूसरे और चौथे अक्षर दोहरे रूप में नहीं लिखे गए हैं। उदाहरण:-
अशुद्ध | शुद्ध |
अछछा | अच्छा |
मुठ्ठी | मुठ्टी |
निष्कर्ष
आज के इस लेख में अगर आपको वर्तनी किसे कहते हैं (Vartni kise kahate Hain) के बारे में समझ नहीं आया तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताइए जिससे कि हम अपने आर्टिकल में आपकी मदद से सुधार कर सके और आर्टिकिल में कुछ न्यू अपडेट कर सके। और आपको हमारा यह आर्टिकिल कैसा लगा आप हमें यह भी बता सकते हैं और हमारे इस लेख को सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। आप हमारे इस आर्टिकल मे आखिर तक बने रहने के लिए धन्यवाद।